धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
महाभारत काल से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
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अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
जय shiv chalisa lyricsl जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। more info नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल shiv chalisa lyricsl हैं जैसे॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥